वित्त मंत्रालय से लेकर सेबी और आरबीआई जैसे फाइनेंशियल रेगुलेटर्स F&O (Futures and Options) ट्रेडिंग में खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या से काफी चिंतित हैं। खासकर, पहली बार शेयर मार्केट की दुनिया में आने वाले नौजवान निवेशक इसमें काफी पैसा गंवा रहे हैं। इस तरह की रिपोर्ट भी आई हैं कि कई इन्वेस्टर पर्सनल लोन तक लेकर F&O ट्रेडिंग कर रहे हैं, जिसमें उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा।
ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि जुलाई के तीसरे हफ्ते में पेश होने वाले बजट में F&O पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। इससे रिटेल इन्वेस्टर्स के एफएंडओ सेगमेंट के प्रति झुकाव पर अंकुश लगेगा, जो रातोंरात अमीर बनने का ख्वाब बनने का लेकर ट्रेडिंग करते हैं और अपना नुकसान करा बैठते हैं।
F&O सेगमेंट से क्या दिक्कत है?
सेबी के मुताबिक, F&O ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 9 निवेशक पैसा गंवाते हैं। यह डेरिवेटिव्स सेगमेंट है, जहां शेयरों में गिरावट या फिर उछाल का सटीक अनुमान लगाकर पैसे कमाए जाते हैं। इसमें लाखों के शेयर 10 से 15 हजार में भी आसानी से मिल जाते हैं। अगर आपका दांव सही बैठा, तो आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। वहीं, अनुमान गलत निकलने की सूरत में आपके वही 10-15 हजार जाते हैं, जो अपने लगाए होते हैं।
यही वजह है कि कई लोग कम पैसे लगाकर रातोंरात अमीर बनने का ख्वाब लेकर F&O ट्रेडिंग में पैसे लगाते हैं और अपना नुकसान करा बैठते हैं, क्योंकि उन्हें मार्केट के उतार-चढ़ाव की गहराई से समझ नहीं होती।
क्या चाहती है सरकार?
पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वर ने F&O में रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए बढ़ते जोखिम पर चिंता जताई। इससे पहले नवंबर 2023 में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने भी निवेशकों को F&O पर बड़ा दांव लगाने से सावधान किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के चीफ आशीषकुमार चौहान भी रिटेल इन्वेस्टर्स को आगाह कर चुके हैं कि F&O सेगमेंट में पैसे डूबने की आशंका काफी ज्यादा रहती है। इसलिए उन्हें म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटीज में निवेश करना चाहिए।
इन सबको देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्त मंत्री सरकार बजट 2024 (Budget 2024) में F&O सेगमेंट से रिटेल इन्वेस्टर्स को दूर रखने के लिए कुछ उपाय कर सकती है। इसमें टैक्स बढ़ाना भी एक विकल्प है।
अभी कितना है F&O पर टैक्स?
अभी एफएंडओ से होने वाली कमाई सैलरी या बिजनेस इनकम कैटेगरी में आती है और उसी हिसाब से टैक्स लगता है। इसका मतलब कि F&O से होने वाली आमदनी आपके वेतन या बिजनेस से होने वाली कमाई में जोड़ी है। फिर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स देना होता है। लेकिन, अगर एफएंडओ वाली कमाई को ‘सट्टा आय’ कैटेगरी में डाल दिया जाता है, तो यह लॉटरी या क्रिप्टो निवेश की तरह हो जाएगा।
फिर एफएंडओ कमाई पर भारी भरकम टैक्स तो लगेगा ही, निवेशक दूसरे कई तरह के फायदे भी नहीं उठा पाएंगे। अभी अगर आपको F&O में नुकसान होता है, तो आप उस घाटे को दिखाकर बाकी कारोबार के मुनाफे पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। लेकिन, इसकी कैटेगरी बदलने के बाद आपको यह फायदा नहीं मिलेगा। सरकार एफएंडओ आय पर टीडीएस भी लागू कर सकती है, जैसा कि क्रिप्टोकरेंसी पर बजट 2023-24 में किया गया था।