Delhi-आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी के मुखर नेता संजय सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी से जुड़े प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के एक मामले में की है। मोदी सरकार के मातहत काम करने वाली ईडी के अधिकारियों ने आप सांसद को गिरफ्तार करने से पहले उनके घर पर छापा मारा और दिन भर उनसे पूछताछ की गई। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि संजय सिंह के खिलाफ ईडी की कार्रवाई इसलिए हो रही है, क्योंकि उन्होंने संसद में अडानी ग्रुप का मामला उठाया था। वहीं भाजपा का कहना है कि केजरीवाल और उनके सहयोगियों का भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है। आप नेता मनीष सिसोदिया इसी मामले में पहले से जेल में बंद हैं।इस कार्यवाही के बाद दिल्ली भाजपा को बोलने का पूरा मौका मिल गया । भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि संजय सिंह और अरविंद केजरीवाल कितना भी शोर मचा लें, पैसे खाए हैं तो सच्चाई सामने आकर रहेगी। संजय सिंह की गिरफ्तारी से साफ हो गया है कि सच्चाई छिप नहीं सकती। उन्होंने यह भी कहा कि संजय सिंह के बाद अब अरविंद केजरीवाल का नंबर है। सचदेवा ने कहा कि पहले दिन से ही साफ था कि दिल्ली शराब घोटाले में संजय सिंह ने पैसे खाए हैं और दिनेश अरोरा के सरकारी गवाह बने तभी तय हो गया था कि संजय सिंह अब बच नहीं सकते।
समाचार एजेंसियों ने ईडी के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस के सिलसिले में कुछ और लोगों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है। मोदी सरकार की एजेंसी संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उनके स्टाफ और करीबी लोगों से भी पूछताछ कर चुकी है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में भी संजय सिंह के नाम का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि दिनेश अरोरा नाम के एक बिचौलिये ने दावा किया है कि वो अपने रेस्टोरेंट अनप्लग्ड कोर्टयार्ड में हुई एक पार्टी के दौरान संजय सिंह से मिल चुका है। अरोरा का दावा है कि संजय सिंह ने 2020 में उससे कहा था कि वो रेस्टोरेंट मालिकों से आम आदमी पार्टी के लिए फंड जुटाने को कहे। यह फंड दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जुटाए जाने थे। ईडी के मुताबिक दिनेश अरोरा ने यह भी कहा है कि उसने आप के फंड के लिए 82 लाख रुपये का चेक भी दिया था।
दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी विवाद में केजरीवाल सरकार पर शराब के लाइसेंस देने की नीति में गड़बड़ी करने का आरोप है। आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप है कि उसने शराब के लाइसेंसिंग के लिए ऐसी पॉलिसी बनाई थी, जिसमें शराब कारोबारियों को न सिर्फ कार्टेल बनाने की छूट मिल गई थी, बल्कि कुछ डीलर्स को खास तौर पर फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी। हालांकि बाद में दिल्ली सरकार की इस एक्साइस पॉलिसी को रद्द कर दिया गया था। ईडी ने इसी कथित घोटाले के सिलसिले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। हालांकि आम आदमी पार्टी का कहना है कि तमाम आरोप पूरी तरह गलत हैं और उनके नेताओं को राजनीतिक बदले की भावना से निशाना बनाया जा रहा है।
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— Ek Sandesh (@EkSandesh236986) October 5, 2023
ऐसे तो आप पार्टी के कई नेता जेल में है पर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे बड़ा सेड बेक है । क्योकि संजय सिंह आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य होने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश- बिहार में पार्टी की कमान उनके पास ही है। चुनावी राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर और देश के दूसरे राज्यों में संगठन निर्माण में वो संदीप पाठक के साथ महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी का चेहरा और तालमेल रखने की जिम्मेदारी भी उनके पास ही है। पार्टी के हर फैसले में उनका दखल होने के साथ ही दूसरी पार्टियों के नेताओं के साथ मीटिंग में भी वह दिखाई देते हैं। अलावा पार्टी के लिए चुनावी रणनीति, जमीनी समीकरण सेट करने में भी संजय सिंह का रोल बेहद अहम रहता है। कुछ पॉइंट्स से समझते हैं कि संजय सिंह की गिरफ्तारी आप के लिए झटका क्यों हैं? क्यों पूरी पार्टी पर संकट मंडरा रहा है ।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के लिए यह दूसरा सबसे बड़ा झटका है। ये झटका आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए है, क्योंकि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही केजरीवाल के सेकंड इन कमांड बन गए थे। पार्टी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संजय सिंह के कंधों पर थी। पार्टी के अहम फैसलों में संजय सिंह की भूमिका होती थी।
संजय सिंह उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर से आते हैं। साल 2011 में वह दिल्ली में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हुए। नवंबर 2012 में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो वह मुख्य सदस्यों में से थे। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आम आदमी पार्टी के सबसे मुखर नेता माने जाते हैं। लिहाजा वह पार्टी की ओर से कई मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं। हिंदी भाषी राज्यों की राजनीति में संजय सिंह की सक्रियता साफ तौर पर नजर आती है। लिहाजा पार्टी भी उन्हें आगे रखती है।
इसी साल यूपी के निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपना खाता खोला था। इसमें संजय सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी की रणनीति से लेकर सभाओं तक में संजय सिंह का रोल बेहद अहम था। आम आदमी पार्टी यूपी के गाजियाबाद, कौशांबी, फिरोजाबाद, बदायूं समेत कई जिलों में जीती थी। पिछले साल विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी खाली हाथ रही थी, लेकिन निकाय चुनाव में AAP ने जीत का स्वाद संजय सिंह की बदौलत ही चखा था।
संजय सिंह आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनकी राजनीतिक समझ बहुत अच्छी है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कांग्रेस सहित गैर- भाजपा दलों के साथ संबंध बनाए हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे के साथ बैठकों में वह केजरीवाल के साथ जाते हैं। यह पार्टी के साथ-साथ विपक्षी नेताओं के बीच उनके कद का स्पष्ट संकेत है। विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की हर बैठक में वह नजर आते हैं। विपक्षी नेताओं के साथ तालमेल बैठाने की जिम्मेदारी भी आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह के पास है। मणिपुर मुद्दा, हाथरस कांड, कोरोना, बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के मुद्दे, किसान आंदोलन और अडानी का मुद्दा। ऐसे कई मामलों पर संजय सिंह राज्यसभा में मुखरता से बोलते नजर आए हैं। उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में मणिपुर का मुद्दा उठाया था। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। वहीं, संजय सिंह ने अडानी का मुद्दे भी उठाया था। मतलब साफ है पार्टी की ओर से संसद में अलग-अलग मुद्दे उठाने के लिए संजय सिंह पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं।
संजय सिंह गिरफ्तारी के बाद भी बहुत कुछ होना है । जो भी होगा वो आप पार्टी के लिए संकट ही पैदा करने वाला होगा ।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी के मुखर नेता संजय सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी से जुड़े प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के एक मामले में की है। मोदी सरकार के मातहत काम करने वाली ईडी के अधिकारियों ने आप सांसद को गिरफ्तार करने से पहले उनके घर पर छापा मारा और दिन भर उनसे पूछताछ की गई। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि संजय सिंह के खिलाफ ईडी की कार्रवाई इसलिए हो रही है, क्योंकि उन्होंने संसद में अडानी ग्रुप का मामला उठाया था। वहीं भाजपा का कहना है कि केजरीवाल और उनके सहयोगियों का भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है। आप नेता मनीष सिसोदिया इसी मामले में पहले से जेल में बंद हैं।
इस कार्यवाही के बाद दिल्ली भाजपा को बोलने का पूरा मौका मिल गया । भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि संजय सिंह और अरविंद केजरीवाल कितना भी शोर मचा लें, पैसे खाए हैं तो सच्चाई सामने आकर रहेगी। संजय सिंह की गिरफ्तारी से साफ हो गया है कि सच्चाई छिप नहीं सकती। उन्होंने यह भी कहा कि संजय सिंह के बाद अब अरविंद केजरीवाल का नंबर है। सचदेवा ने कहा कि पहले दिन से ही साफ था कि दिल्ली शराब घोटाले में संजय सिंह ने पैसे खाए हैं और दिनेश अरोरा के सरकारी गवाह बने तभी तय हो गया था कि संजय सिंह अब बच नहीं सकते।
समाचार एजेंसियों ने ईडी के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस के सिलसिले में कुछ और लोगों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है। मोदी सरकार की एजेंसी संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उनके स्टाफ और करीबी लोगों से भी पूछताछ कर चुकी है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में भी संजय सिंह के नाम का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि दिनेश अरोरा नाम के एक बिचौलिये ने दावा किया है कि वो अपने रेस्टोरेंट अनप्लग्ड कोर्टयार्ड में हुई एक पार्टी के दौरान संजय सिंह से मिल चुका है। अरोरा का दावा है कि संजय सिंह ने 2020 में उससे कहा था कि वो रेस्टोरेंट मालिकों से आम आदमी पार्टी के लिए फंड जुटाने को कहे। यह फंड दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जुटाए जाने थे। ईडी के मुताबिक दिनेश अरोरा ने यह भी कहा है कि उसने आप के फंड के लिए 82 लाख रुपये का चेक भी दिया था।
दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी विवाद में केजरीवाल सरकार पर शराब के लाइसेंस देने की नीति में गड़बड़ी करने का आरोप है। आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप है कि उसने शराब के लाइसेंसिंग के लिए ऐसी पॉलिसी बनाई थी, जिसमें शराब कारोबारियों को न सिर्फ कार्टेल बनाने की छूट मिल गई थी, बल्कि कुछ डीलर्स को खास तौर पर फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी। हालांकि बाद में दिल्ली सरकार की इस एक्साइस पॉलिसी को रद्द कर दिया गया था। ईडी ने इसी कथित घोटाले के सिलसिले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। हालांकि आम आदमी पार्टी का कहना है कि तमाम आरोप पूरी तरह गलत हैं और उनके नेताओं को राजनीतिक बदले की भावना से निशाना बनाया जा रहा है।
ऐसे तो आप पार्टी के कई नेता जेल में है पर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे बड़ा सेड बेक है । क्योकि संजय सिंह आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य होने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश- बिहार में पार्टी की कमान उनके पास ही है। चुनावी राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर और देश के दूसरे राज्यों में संगठन निर्माण में वो संदीप पाठक के साथ महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी का चेहरा और तालमेल रखने की जिम्मेदारी भी उनके पास ही है। पार्टी के हर फैसले में उनका दखल होने के साथ ही दूसरी पार्टियों के नेताओं के साथ मीटिंग में भी वह दिखाई देते हैं। अलावा पार्टी के लिए चुनावी रणनीति, जमीनी समीकरण सेट करने में भी संजय सिंह का रोल बेहद अहम रहता है। कुछ पॉइंट्स से समझते हैं कि संजय सिंह की गिरफ्तारी आप के लिए झटका क्यों हैं? क्यों पूरी पार्टी पर संकट मंडरा रहा है ।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के लिए यह दूसरा सबसे बड़ा झटका है। ये झटका आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए है, क्योंकि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही केजरीवाल के सेकंड इन कमांड बन गए थे। पार्टी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संजय सिंह के कंधों पर थी। पार्टी के अहम फैसलों में संजय सिंह की भूमिका होती थी।
संजय सिंह उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर से आते हैं। साल 2011 में वह दिल्ली में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हुए। नवंबर 2012 में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो वह मुख्य सदस्यों में से थे। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आम आदमी पार्टी के सबसे मुखर नेता माने जाते हैं। लिहाजा वह पार्टी की ओर से कई मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं। हिंदी भाषी राज्यों की राजनीति में संजय सिंह की सक्रियता साफ तौर पर नजर आती है। लिहाजा पार्टी भी उन्हें आगे रखती है।
इसी साल यूपी के निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपना खाता खोला था। इसमें संजय सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी की रणनीति से लेकर सभाओं तक में संजय सिंह का रोल बेहद अहम था। आम आदमी पार्टी यूपी के गाजियाबाद, कौशांबी, फिरोजाबाद, बदायूं समेत कई जिलों में जीती थी। पिछले साल विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी खाली हाथ रही थी, लेकिन निकाय चुनाव में AAP ने जीत का स्वाद संजय सिंह की बदौलत ही चखा था।
संजय सिंह आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनकी राजनीतिक समझ बहुत अच्छी है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कांग्रेस सहित गैर- भाजपा दलों के साथ संबंध बनाए हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे के साथ बैठकों में वह केजरीवाल के साथ जाते हैं। यह पार्टी के साथ-साथ विपक्षी नेताओं के बीच उनके कद का स्पष्ट संकेत है। विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की हर बैठक में वह नजर आते हैं। विपक्षी नेताओं के साथ तालमेल बैठाने की जिम्मेदारी भी आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह के पास है। मणिपुर मुद्दा, हाथरस कांड, कोरोना, बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के मुद्दे, किसान आंदोलन और अडानी का मुद्दा। ऐसे कई मामलों पर संजय सिंह राज्यसभा में मुखरता से बोलते नजर आए हैं। उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में मणिपुर का मुद्दा उठाया था। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। वहीं, संजय सिंह ने अडानी का मुद्दे भी उठाया था। मतलब साफ है पार्टी की ओर से संसद में अलग-अलग मुद्दे उठाने के लिए संजय सिंह पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं।
संजय सिंह गिरफ्तारी के बाद भी बहुत कुछ होना है । जो भी होगा वो आप पार्टी के लिए संकट ही पैदा करने वाला होगा ।