छत्तीसगढ़ किसान सभा तथा भू.विस्थापित रोजगार एकता संघ ने एसईसीएल के क्षेत्र में काबिज भू-विस्थापितों को पट्टा देने, पूर्व में अधिग्रहित भूमि मूल खातेदार किसानों को वापस करने, लंबित रोजगार प्रकरणों, पुनर्वास एवं खनन प्रभावित गांवों की समस्याओं के निराकरण करने की मांग पर 3 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट पर घेरा डालो.डेरा डालो आंदोलन करते हुए घेराव करने का फैसला किया है। इस संबंध में कलेक्टर के नाम 14 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया है। माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से एसईसीएल द्वारा कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका क्षेत्र में कई गांवों का अधिग्रहण किया गया है। इस जबरन अधिग्रहण का शिकार गरीब किसान हुए हैं। आज भी हजारों भू-विस्थापित पट्टा, जमीन वापसी, रोजगार, बसावट और मुआवजा के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे है। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 सालों में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है और मूल किसान ही पीढिय़ों से काबिज है, उन्हें किसानों को वापस किया जाना चाहिए। जब किसानों की जबरन अधिग्रहित भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं, तो पुनर्वास गांवों के हजारों भू-विस्थापित किसानों को पट्टों से वंचित रखना समझ के परे हैं।
किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, शिवदयाल कंवर, देवकुमार पटेल, विजय कंवर, बसंत चौहान, राजू यादव, सुभद्रा कंवर, देव कुंवर कंवर,पवन यादव आदि ने भू-विस्थापितों की समस्याओं के लिए जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन दोनों को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कुसमुंडा में जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर 692 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है और समस्याओं की ओर कई बार प्रशासन और प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया गया हैए लेकिन भू-विस्थापितों की समस्याओं के निराकरण के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है। कोयला की दो दिनों तक आर्थिक नाकेबंदी के बाद त्रिपक्षीय वार्ता को टालने के काम भी उन्होंने किया है। इसलिए अब कलेक्ट्रेट का घेराव किया जाएगा।
भू.विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, सचिव दामोदर श्याम व रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह ठकराल ने कहा कि जिनकी जमीन एसईसीएल ने ली है, उन्हें बिना किसी शर्त के रोजगार दिया जाये क्योंकि जमीन ही उनके जीने का एकमात्र सहारा थी। आज भूविस्थापित भुखमरी के कगार पर खड़े है। इसलिए 3 अक्टूबर को पूरे परिवार सहित हजारों भू.विस्थापित कलेक्ट्रेट घेराव में शामिल होंगे। माकपा और किसान सभा ने कहा है कि जिन किसानों की जमीन का एसईसीएल ने अधिग्रहण किया है, उन्हें जब तक रोजगार, मुआवजा एवं अन्य सुविधा प्रदान नहीं की जाती तब तक भू-विस्थापित किसान अपनी जमीन पर किसी प्रकार का खनन कार्य नहीं करने देंगे। उन्होंने शासकीय भूमि पर काबिजों को भी उनकी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा देने एवं पुनर्वास देने की मांग की है।
14 सूत्रीय मांगे:-पुनर्वास गांव में कबीज भू विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाये। कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित किये गये जमीनों को मूल खातेदार किसानों को वापस कराई जाये। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 सालों में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है और जिन जमीनों पर किसान ही पीढिय़ों से काबिज है उन्हें किसानों के नाम वापस किया जाए। पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का वन टाइम सेटलमेंट कर सभी भू विस्थापितों को रोजगार प्रदान किया जाये। जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है और कि जा रही है उन सभी छोटे बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाये। शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा एवं बसावट दिया जाए। एसईसीएल में आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100: रोजगार में रखा जाये। प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाये। पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गए मकानोंए शौचालयों का क्षतिपूर्ति मुआवजा तत्काल दिया जाये। डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव सुराकछार बस्ती के किसानों को हुये नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रदान किया जाये। बांकी माईन्स की बंद खदान के पानी को मड़वाढोंढाएबांकी बस्तीएपुरैना और आस पास के खेतों की सिंचाई और तीनों गांव के तालाबों को भरने की व्यवस्था की जाये। पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाये और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाये। भू विस्थापित परिवारों के सभी सदस्यों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किया जाये। पुराने लंबित रोजगार प्रकरण में जिन भू विस्थापितों का सत्यापन नहीं हुआ है उनका शिविर लगाकर सत्यापन कराया जाये। जिन किसानों के जमीन एसईसीएल में अधिग्रहण हुआ है उन्हें जब तक रोजगार, मुआवजा एवं अन्य सुविधा प्रदान नहीं की जाती तब तक भू विस्थापित किसान के जमीन पर किसी प्रकार का खनन कार्य नहीं किया जाये।