केंद्र सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने चार साल पहले प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम शुरू की थी। इसमें कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने पर बड़ी छूट दी जाती है।
यह योजना एक हद तक सफल रही है और इसका कुछ सेक्टर में सकारात्मक असर नजर रहा है। लेकिन, अभी भी कई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ऐसे हैं, जिनमें सरकार की उम्मीद के मुताबिक निवेश नहीं आ रहा है।
आइए जानते हैं कि किन सेक्टर में निवेश बढ़ा है और बाकी सेक्टर में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए सरकार क्या कर रही है।
PLI के तहत कितना निवेश आया?
सरकारी डेटा के मुताबिक, PLI स्कीम के तहत 14 सेक्टरों को दिसंबर 2023 तक 1.06 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश मिला। इसमें फार्मा और सोलर मॉड्यूल सेगमेंट का योगदान तकरीबन आधा है।
हालांकि, पिछले साल दिसंबर तक आईटी हार्डवेयर, ऑटो और ऑटो कंपोनेंट, टेक्सटाइल और एसीसी बैटरी स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में योजना को सुस्त रिस्पॉन्स मिला था।
सरकार ने 2021 में टेलीकॉम, व्हाइट गुड्स, कपड़ा, मेडिकल इक्विपमेंट, ऑटोमोबाइल, विशेष इस्पात, खाद्य उत्पाद, सोलर पीवी मॉड्यूल, अडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी, ड्रोन और फार्मा जैसे 14 क्षेत्रों के लिए PLI स्कीम का एलान किया था।
फार्मा सेक्टर में किसने उठाया लाभ?
फार्मास्युटिकल्स और ड्रग्स सेक्टर में पिछले साल दिसंबर तक 25,813 करोड़ रुपये निवेश आया। सरकार को 17,275 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद थी, लेकिन आंकड़े इससे बेहतर रहे। फार्मा सेक्टर में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, सिप्ला, ग्लेनमार्क फार्मा, बायोकॉन और वॉकहार्ट लिमिटेड ने स्कीम का लाभ उठाया।
वहीं, हाई एफिशिएंसी सोलर पीवी मॉड्यूल की बात करें, तो कुल 22,904 करोड़ रुपये का निवेश आया। यहां स्कीम का लाभ उठाने वाली कंपनियों में शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स, रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड, अदाणी इंफ्रास्ट्रक्चर और टाटा पावर सोलर शामिल रहीं।
अन्य सेक्टर का क्या रहा हाल?
फार्मा और पीवी मॉड्यूल के अलावा कई दूसरे सेगमेंट को भी PLI स्कीम के तहत ठीकठाक निवेश मिला। इनमें थोक दवाएं (3,586 करोड़ रुपये), चिकित्सा उपकरण (864 करोड़ रुपये), खाद्य प्रसंस्करण (7,350 रुपये) शामिल हैं।
वहीं, टेलीकॉम सेक्टर (2,865 करोड़ रुपये) मिला। सबसे बुरा प्रदर्शन आईटी हार्डवेयर सेक्टर का रहा। इसमें सरकार को 2,517 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद थी, लेकिन इन्वेस्टमेंट हुआ सिर्फ 270 करोड़ रुपये का।
ऑटो और ऑटो कंपोनेंट सेक्टर भी सरकार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। यहां 67,690 करोड़ रुपये का निवेश अपेक्षित था, लेकिन निवेश हुआ महज 13,037 करोड़ रुपये का। टेक्सटाइल सेक्टर में भी 19,798 करोड़ रुपये आने की उम्मीद थी, मगर आए सिर्फ 3,317 करोड़ रुपये।
निवेश बढ़ाने के लिए क्या कर रही सरकार?
सरकार उन सेक्टरों पर खास फोकस कर रही है, जिनमें उम्मीद के मुताबिक निवेश नहीं आया। समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया कि सरकार उन क्षेत्रों के लिए योजना में बदलाव पर विचार कर सकती है ,जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।
PLI स्कीम का मकसद प्रमुख क्षेत्रों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश लाना है। साथ ही, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कुशलता को बढ़ावा देना और उत्पादन बढ़ाना है, जिससे भारतीय कंपनियां और मैन्युफैक्चरर्स दुनियाभर में प्रतिस्पर्धा कर सकें।