Tahawwur Rana की आखिरी कोशिश भी नाकाम, US सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका

मुंबई आतंकी हमलों के गुनहगार तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana extradition) को एक  बार फिर झटका लगा है। भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दायर उसकी याचिका खारिज कर दी गई है। 

याचिका में प्रताड़ना का दिखाया था डर 

राणा (Tahawwur Rana extradition) ने इस याचिका में दावा किया था कि चूंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुसलमान है, इसलिए उसे वहां प्रताड़ित किया जाएगा। याचिका में राणा ने तर्क दिया कि भारत में मुकदमे का सामना करने के लिए उसके जिंदा बचे रहने की संभावना कम होगी। इसके लिए राणा ने अपनी गंभीर बीमारियों सहित कई कारकों का हवाला दिया।

उसकी याचिका में विशेष रूप से उल्लेख किया गया था कि यदि उसके प्रत्यर्पण पर रोक नहीं लगाई जाती है तो फिर कोई समीक्षा नहीं हो पाएगी।

ये भी दलीलें नहीं आई काम

राणा ने याचिका के गुण-दोष के आधार पर (सभी अपीलों की समाप्ति सहित) अपने प्रत्यर्पण और भारत के समक्ष आत्मसमर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी।याचिका में राणा ने दलील दी थी कि भारत में उसका प्रत्यर्पण अमेरिकी कानून और यातना के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र का भी उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि ‘यह मानने के लिए पर्याप्त आधार हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाता है तो याचिकाकर्ता पर प्रताड़ता का खतरा होगा।  

26/11 हमले का है मास्टरमाइंड

बता दें कि 64 वर्षीय राणा, पाकिस्तानी मूल का एक कनाडाई नागरिक है। वह वर्तमान में लास एंजिलिस के एक डिटेंशन सेंटर में बंद है। राणा पर आरोप है कि 26/11 हमले के सिलसिले में उसने अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली को दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है।उसके पास अमेरिकी नागरिकता थी। उसकी मां अमेरिकी और पिता पाकिस्तानी थे। हेडली मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है।अमेरिकी अधिकारियों ने उसे अक्टूबर, 2009 में गिरफ्तार किया था।

ट्रंप ने भारत भेजने की कही थी बात

गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उनके प्रशासन ने 26/11 हमलों में भूमिका के लिए भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा वांछित ”बहुत दुष्ट” राणा के प्रत्यर्पण को ”भारत में न्याय का सामना करने” के लिए मंजूरी दे दी है।जनवरी में भी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद ट्रंप की ओर से यह बयान आया था।   

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