Bhopal News-भाजपा का चुनाव अभियान भले ही कांग्रेस के मुकाबले आगे हो लेकिन एकजुटता के माले में कांग्रेस भाजपा की तुलना में आगे है। भाजपा में अंदरुनी घमासान और पाकिस्तान कांग्रेस की तुलना में ज्यादा है। यही वजह है कि पिछले दो महीनों में भाजपा से कांग्रेस में जाने वालों की संख्या बढ़ी है। जाहिर है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस भाजपा के लिए इसलिए बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि प्रदेश सतर पर वह अधिक एकजुट है। कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तुलना में यहां नेतृत्व को लेकर कोई विभाजन नहीं है। दिग्विजय सिंह कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए लगातार मैदान में मजावट कर रहे हैं। उनके गुट के तीन बड़े नेताओं जीतू पटवारी, अरुण यादव और अजय सिंह ने भी कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान लिया है। जाहिर है प्रदेश में कांग्रेस अधिक एकजुटता के साथ काम कर रही है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता और कर्नाटक की जीत ने प्रदेश में कांग्रेस को नई संजीवनी दी है। इसीलिए कमलनाथ ने मिशन 2023 को टॉप गियर में डाल दिया है। हाल ही में उन्होंने मालवा के नीमच, बुंदेलखंड क्षेत्र के टीकमगढ़ और महाकौशल के जबलपुर का दौरा किया था। अब वे इंदौर में हैं और इन दौरों से भोपाल लौटते ही वे बैठकों में लग जाते हैं इन बैठकों में वे अलग-अलग संभाग के जिला प्रभारियों और जिला अध्यक्षों से चर्चा कर रहे हैं। मुख्य रूप से कमलनाथ का जोर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और मतदान केंद्र की व्यवस्था मजबूत करने को लेकर है अब भोपाल में रहने की बजाय मैदान में उतरकर कार्यकर्ताओं की हौंसल अफजाई करते नजर आ रहे हैं।
महिलाओ में जश्न…https://t.co/LvoRaGndli#SoniaGandhi #PMO #RahulGandhi #dimlayadav #AkhileshYadav
— Ek Sandesh (@EkSandesh236986) September 20, 2023
इन दिनों कमलनाथ अधिक आक्रामक तेवर में नजर आ रहे हैं। अपने हाल के दौरे में कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खूब निशाने पर लिया जबकि अपने दौरों में उन्होंने भाजपा के हिंदुत्व पर सवाल उठाए और खुद को धार्मिक व्यक्ति बताया। छिंदवाड़ा में धीरेंद्र मिश्रा की शिव पुराण कथा भी करवाई है। कल उन्होंने आदित्य ठाकरे की मौजूदगी में पांढुर्णा में शिवजी की प्रतिमा का अनावरण किया। यानी कमलनाथ ने हिंदुत्व का मुद्दा पकड़ा हुआ है। कमलनाथ ने सिंधिया समर्थकों को विधानसभा क्षेत्रों के लिए कांग्रेस ने अलग से रणनीति भी बनाई है। गुजरात और हिमाचल के चुनाव अभियान में राहुल गांधी ने बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ली थी लेकिन कर्नाटक में उन्होंने करीब 12 रैलियों को संबोधित किया। मध्य प्रदेश में भी राहुल गांधी लगातार सभाएं लेने वाले हैं। कांग्रेस में राहुल और प्रियंका गांधी ही ऐसे नेता हैं जिनके नाम पर हजारों कार्यकर्ता एकजुट हो जाते हैं। इन दोनों की सभाओं में भीड़ होती है।