अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में फलस्तीनियों के समर्थन वाला छात्रों का धरना शुक्रवार को दसवें दिन भी जारी है। इसी के साथ कैलिफोर्निया से लेकर मेसाचुसेट्स तक की शिक्षण संस्थाओं में गाजा मुद्दे पर चल रहे छात्रों के आंदोलन से निपटने में प्रशासन और पुलिस जद्दोजहद कर रही है। इन आंदोलनों में शामिल सैकड़ों छात्र-छात्राओं को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन उसका कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है।
कोलंबिया और अन्य संस्थाओं में प्रशासन आंदोलनकारी छात्रों से वार्ता कर रहा है और उन्हें समझाने का प्रयास कर रहा है लेकिन अभी तक की बातचीत बेनतीजा रही है। कई विश्वविद्यालयों और कालेजों ने अपनी नियमित कक्षाएं रोक दी हैं और अब उनका जोर ऑनलाइन पढ़ाई पर है। लेकिन आंदोलनकारी परिसर में आकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आंदोलनकारियों का गुस्सा गाजा में इजरायल द्वारा बड़ी संख्या में निर्दोष फलस्तीनियों के मारे जाने को लेकर है। इजरायली हमलों में 23 लाख वाली गाजा पट्टी में 34 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मारे गए लोगों में दो तिहाई संख्या महिलाओं और बच्चों की है। चूंकि इजरायल के हमले को अमेरिका का समर्थन है, इसके चलते आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं में भारी गुस्सा है।
आंदोलनकारियों की मांग है कि अमेरिका इजरायल की सहायता बंद करे और उसके साथ संबंध तोड़े। इन्हीं मांगों को लेकर गुरुवार को जब ब्लू¨मग्टन में स्थित इंडियाना विश्वविद्यालय में माहौल बिगड़ा तो पुलिस को वहां पर आंदोलनकारियों पर बेंत चलाने पड़े और वहां से 33 छात्रों को गिरफ्तार किया गया। इसके कुछ ही घंटे बाद कनेक्टिकट के विश्वविद्यालय में पुलिस ने आंदोलनकारियों का टेंट फाड़ दिया और एक छात्र को गिरफ्तार कर लिया।
इस तरह की घटनाएं कई विश्वविद्यालयों में हुई हैं। अमेरिकी संस्थाओं में पढ़ रहे यहूदी छात्र इन आंदोलनों से डरे हुए हैं। उन्हें लग रहा है कि इजरायल का विरोध यहूदी विरोध में बदल सकता है जिसके कारण उन पर हमले हो सकते हैं या फिर उनको लेकर कालेज परिसर में विरोधी माहौल बन सकता है। इनमें से कुछ छात्र अब पुलिस सुरक्षा की जरूरत भी महसूस कर रहे हैं।