
अवैध खनन से जुड़े चर्चित मामले में भाजपा विधायक संजय पाठक की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि उनके नजदीकी रिश्तेदार ने सीधे हाईकोर्ट जज को फोन किया था। इस घटना के सामने आने के बाद पाठक का पक्ष रखने वाले कई वकीलों ने मुकदमा छोड़ दिया है। मामला कटनी की कंपनियों से जुड़ा है, जिन पर 443 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
अवैध खनन से जुड़े बहुचर्चित प्रकरण में भाजपा विधायक संजय पाठक की कानूनी दिक्कतें और गहराती जा रही हैं। होई कोर्ट जज को सीधे फोन लगाने के मामले के खुलासे के बाद पाठक का पक्ष रखने वाले अधिवक्ताओं ने भी उनके मुकदमों से दूरी बना ली है। 1 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय में यह तथ्य सामने आया कि विधायक पाठक की ओर से एक नजदीकी रिश्तेदार ने सीधे न्यायाधीश से संपर्क किया था। केस की सुनवाई में ही जस्टिस विशाल मिश्रा ने भी इसका खुलासा किया था और वह मामले से अलग हो गए। इस घटना की जानकारी अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने लिखित रूप से उच्च न्यायालय को दी। इसके बाद अंशुमान सिंह ने भी पाठक के मुकदमे से हाथ खींच लिए। बताया जा रहा है कि पाठक से जुड़ी कंपनियों के मामले देख रहे चार और वकीलों ने भी वकालतनामा वापस ले लिया है।
यह पूरा मामला जनवरी 2025 का है। कटनी निवासी आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने ईओडब्ल्यू को शिकायत दी थी। इसमें निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन और पैसिफिक एक्सपोर्ट्स नाम की कंपनियां बड़े पैमाने पर अवैध खनन कर रही हैं। जांच में आरोप सही पाए जाने पर सरकार ने इन कंपनियों पर 443 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया था। इसके खिलाफ कंपनियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की हुई है।