वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट (Budget 2024) से एक दिन पहले आर्थिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरा लेखा-जोखा बताया गया। साथ ही, आर्थिक चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं का भी जिक्र किया गया।
खासकर, इकोनॉमिक सर्वे ने कोरोना काल के बाद उपजी दुश्वारियों पर बात की। इसमें देश के सबसे चर्चित मुद्दे यानी रोजगार की संभावनाओं पर भी की गई। आर्थिक सर्वे में GDP ग्रोथ, इनफ्लेशन, इंप्लॉयमेंट रेट, फिस्कल डेफिसिट समेत कई डेटा शामिल हैं।
रोजगार पर क्या बोला आर्थिक सर्वे
आर्थिक सर्वे का रोजगार पर काफी जोर है। इसके मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था में वर्क फोर्स की जरूरत तेजी से बढ़ रही है। इसे पूरा करने के लिए 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि सर्विस सेक्टर में आगे अच्छी ग्रोथ रह सकती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि रोजगार के अवसर पैदा करने में कॉरपोरेट सेक्टर की भूमिका बढ़नी चाहिए। आर्थिक सर्वे बताता है कि 2023 के पहले तीन महीनों के दौरान शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर 6.7 फीसदी तक आई गई। हालांकि, आर्थिक सर्वे का यह भी कहना है कि वैश्विक चुनौतियों और टेक्नोलॉजी में बदलाव के चलते मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आईटी सेक्टर में ज्यादा हायरिंग की उम्मीद नहीं है।
महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद
महंगाई के मामले में आर्थिक सर्वे ने आरबीआई के डेटा का हवाला दिया है। आरबीआई के अनुमान के मुताबिक, अगर मानसून सामान्य रहता है और कोई नीतिगत झटका नहीं लगता, तो मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 4.5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष तक 4.1 फीसदी तक आ जाएगी।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2024 में रिटेल इनफ्लेशन 4.6 फीसदी और 2025 में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान दिया है। वर्ल्ड बैंक ने 2024 और 2025 के दौरान ग्लोबल प्राइसेज में गिरावट का अनुमान लगाया है। आर्थिक सर्वे ने इन सबके आधार पर उम्मीद लगाई है कि भारत में खुदरा मंहगाई में कमी आएगी।
आर्थिक सर्वे ने महंगाई को कुशलता से संभालने के तरीके की भी तारीफ की है। इसमें कहा गया कि वैश्विक संकट, सप्लाई चेन में रुकावट और मानसून की अनिश्चितता जैसी चुनौतियों से महंगाई का दवाब बढ़ा। लेकिन, प्रशासनिक और मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं के चलते उसे कुशलता से मैनेज किया गया। इससे वित्त वर्ष 23 में खुदरा महंगाई औसतन 6.7 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 24 में घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई।
कोविड के बाद 20% बढ़ी रियल GDP
आर्थिक सर्वे बताता है कि कोरोना महामारी के बाद भारत की इकोनॉमी में काफी ज्यादा सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में रियल GDP वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा रही। ऐसी उपलब्धि दुनिया की कुछ ही अर्थव्यवस्थाएं हासिल कर पाई हैं। आर्थिक सर्वे का मानना है कि मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2024-25 में भी भूराजनीतिक जनाव और जलवायु जोखिमों के बावजूद भारत की जीडीपी ग्रोथ अच्छी रहेगी।
शेयर मार्केट की तारीफें के पुल बांधे
इकोनॉमिक सर्वे ने प्राइवेट कैपिटल मार्केट की काफी तारीफ की है। इसमें कहा गया कि प्राइवेट कैपिटल मार्केट की बदौलत वित्त वर्ष 2024 के दौरान 10.9 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई गई। भारत के स्टॉक मार्केट के बाजार पूंजीकरण कैपिटलाइजेशन में जबरदस्त उछाल आया है। खासकर, रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी बढ़ने से। इससे GDP और मार्केट कैपिटलाइजेशन के अनुपात के मामले में भारत दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है।
कृषि पर आर्थिक सर्वे ने क्या कहा?
इकोनॉमिक सर्वे ने कृषि क्षेत्र पर फोकस बढ़ाने की जरूरत बताई है। यह सेक्टर देश में रोजगार के सबसे अधिक मौके देता है। इसकी देश के निर्यात में भी अहम भूमिका है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, कृषि क्षेत्र पर फोकस करने से देश की तरक्की की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी।
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर जोर
आर्थिक सर्वे से संकेत मिलता है कि सरकार का पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर जोर बढ़ेगा। इस साल NHAI के लिए 33 एसेट्स की बिक्री के लिए पहचान की गई है। आर्थिक सर्वे ने बताया कि प्राइवेट सेक्टर का मुनाफा बढ़ा है। लेकिन, चिंता की बात है कि उस अनुपात में रोजगार के मौके नहीं बढ़े हैं।