भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक 6 अगस्त से शुरू हो रही है, जिसमें रेपो रेट के भविष्य पर विचार किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहेगी।
वर्तमान में रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर है, जो फरवरी 2023 में अंतिम बार बदली गई थी। यह लगातार 9वीं द्विमासिक नीति समीक्षा होगी जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई दर और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, RBI अपनी मौजूदा नीति पर कायम रह सकता है।
मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि RBI किसी भी तरह का अचानक बदलाव नहीं करेगा। इस निर्णय का महत्व इस बात से भी है कि इससे घरेलू ऋण दरों पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे आम जनता और कारोबारी जगत पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सभी की निगाहें इस बैठक पर लगी हुई हैं।
आइए, जानते हैं कि एमपीसी बैठक को लेकर एक्सपर्ट कहते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगातार आठवीं बार ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लेने की अधिक संभावना है, यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अपने लक्ष्य सीमा के भीतर होने के बावजूद लगातार खाद्य मुद्रास्फीति के मद्देनजर संतुलित दृष्टिकोण का संकेत होगा।
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल
अश्विनी कुमार, पिरामिड इंफ्राटेक के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर में हाल ही में लग्जरी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज की मांग में वृद्धि देखी गई है। आगामी मौद्रिक नीति से पहले, यथास्थिति में स्थिरता से इस क्षेत्र को लाभ होगा क्योंकि इससे रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज की मांग बढ़ेगी, जिससे डेवलपर्स को खरीदारों की जरूरतों को पूरा करने वाली अधिक प्रोजेक्ट्स बनाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, अपरिवर्तित होम लोन दरें भी संभावित घर खरीदारों को कुछ बड़ी राहत प्रदान करेंगी। हालांकि, रेपो दर में मामूली कमी से सेक्टर की वृद्धि को बल मिलेगा। इस प्रकार, हम आरबीआई के रेपो दर को स्थिर रखने के निर्णय की कल्पना करते हैं, जिससे उभरते क्षेत्रों में नए प्रोजेक्ट्स और डेवलपमेंट का विस्तार होगा।
आरबीआई के रेपो रेट समायोजन से हाउसिंग अफ्फोर्डेबिलिटी और लोन रेप्लॉयमेंट की शर्तों पर गहरा असर पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में रियल एस्टेट सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन के साथ, हम आशावादी हैं कि रेपो रेट की स्थिरता एक बार फिर सेक्टर में गति बनाए रखेगी।
नयन रहेजा, रहेजा डेवलपर्स
कुशाग्र अंसल, डायरेक्टर अंसल हाउसिंग के अनुसार हम उम्मीद करते हैं कि यह स्वस्थ मांग प्रवृत्ति अगले कुछ वर्षों में जारी रहेगी, विशेष रूप से गुरुग्राम जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहरी शहरों में, जो महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की प्रगति का अनुभव कर रहे हैं।
नंदनी गर्ग,डायरेक्टर,राजदरबार वेंचर्स के अनुसार हम उम्मीद कर रहे हैं कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखेगा। इससे घर खरीदने वाले लोगों की भावना मजबूत होगी, क्योंकि होम लोन की ब्याज दरें कम रहेंगी। आवास की बढ़ती मांग के बीच, स्थिर ब्याज दरों से घर खरीदने वालों को राहत मिलेगी। वहीं, डेवलपर्स और घर खरीदार दोनों को कर्ज की लागत स्थिर रहने से फायदा होगा, जिससे बाजार में विश्वास और स्थिरता बढ़ेगी। इस स्थिरता से रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों क्षेत्रों में खरीदारों और डेवलपर्स के लिए अधिक लाभकारी अवसर आएंगे।
अंततः RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक से यह स्पष्ट होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक आर्थिक स्थिरता और विकास के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करता है। विशेषज्ञों की राय में, रेपो रेट में स्थिरता बनाए रखने से निवेशकों का विश्वास बना रहेगा और भारतीय बाजार में स्थिरता आएगी।