जमीन से लेकर आकाश तक होगा भारतीय सेना का दबदबा

भारतीय सेना का दबदबा जमीन से लेकर आसमान तक पुख्ता करने के लिए एक के बाद एक तेजी से कार्रवाई की जा रही है। इस कड़ी में मंगलवार को तीन ऐसी जानकारियां सामने आईं, जो बताती हैं कि सेना की मजबूती और सतर्कता ऐसी होने जा रही है, जिससे परिंदा भी पर ना मार सके। इनमें ‘प्रोजेक्ट आकाशतीर’ को शामिल करने के साथ निगरानी हेलीकॉप्टर और हर भूभाग पर चलने वाले वाहन (एटीवी) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू करना शामिल है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ‘प्रोजेक्ट आकाशतीर’ के जरिये स्वयं को वायु रक्षा तकनीक में सबसे आगे रख रही है, जिससे भारत के ऊपर एक सुरक्षित और सतर्क हवाई क्षेत्र की मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है। इस प्रोजेक्ट में वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण कर इसे स्वचालित करने के लिए एक अत्याधुनिक पहल को डिजाइन किया गया है।

भारतीय सेना की रक्षा इकाइयों में व्यापक कवरेज सुनिश्चित होगा

सूत्र के अनुसार, ”प्रोजेक्ट आकाशतीर को चरणबद्ध ढंग से शामिल करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। कुल 455 ऐसी प्रणालियों की जरूरत थी, जिनमें से 107 दी जा चुकी हैं। बाकी 105 को मार्च 2025 तक दिए जाने की संभावना है। जबकि बची हुई शेष प्रणालियों को मार्च 2027 तक सौंप दिया जाएगा और इससे भारतीय सेना की रक्षा इकाइयों में व्यापक कवरेज सुनिश्चित होगा।’

हाल ही में, भविष्य की लड़ाइयों के संभावित घटनाक्रमों के अनुसार प्रोजेक्ट आकाशतीर का ”रीयल टाइम सत्यापन” किया गया था। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने इसे स्वयं देखा और इसे भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमताओं में एक परिवर्तनकारी छलांग माना। निगरानी हेलीकॉप्टर की खरीदारीसरकार ने निगरानी हेलीकाप्टरों और इससे जुड़ी वस्तुओं की खरीदारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है और मंगलवार को इसके लिए रिक्वेस्ट फार इंफार्मेशन (आरएफआइ) जारी किया।आरएफआइ के अनुसार इन निगरानी हेलीकाप्टरों को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत लाने की योजना है। इसके अंतर्गत चुने जाने वाले भारतीय निर्माताओं को दो वर्ष के अंदर आपूर्ति करनी होगी। स्थान के हिसाब से भी इन हेलीकॉप्टरों में मौजूद निगरानी क्षमता तैयार किए जाने के लिए कहा गया है, जिसमें इन्हें मरुस्थली, मैदानी या 4,500 मीटर ऊंचाई तक के पर्वतीय इलाकों में तैनात किए जाने पर चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा सके।

इन्हें पश्चिमी सीमाओं से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात किए जाने की योजना है और यह देश में हर तरह के मौसम और भौगोलिक इलाकों में दिन-रात निगरानी कर सकेंगे। इसमें बताया गया है कि इन निगरानी हेलीकाप्टरों की डिजाइन ऐसी होगी, ताकि इन्हें भविष्य की जरूरत के हिसाब से बिना डिजाइन या ढांचे में बदलाव किए एक्ससेरीज के जरिये अपग्रेड किया जा सके।

उत्तरी सीमा पर तैनाती के लिए एटीवी की खरीदारी

केंद्र सरकार ने उत्तरी सीमा पर तैनाती के लिए हर सतह या भूभाग पर चलने वाले वाहनों (एटीवी) की खरीदारी के लिए भी मंगलवार को आरएफआइ जारी की। आरएफआइ के अनुसार एटीवी को हर तरह के इलाकों तक निगरानी, हथियारों को तैनात करने के लिए मोबाइल प्लेटफार्म पहुंचाने और कार्रवाई के दौरान रसद भेजने के लिए सेना की पहुंच को आसान बनाएंगे।ये एटीवी ऐसे इलाकों में तेजी से पहुंच संभव बनाएंगे जहां या तो सड़क खराब है या फिर है ही नहीं। इनमें चालक के साथ कम से कम चार लोगों के बैठने की क्षमता, डिस्क ब्रेक, आटोमैटिक ट्रांसमिशन, जीपीएस, नैवस्टार के साथ जीएनएसएस आधारित नेविगेशन सिस्टम, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम और इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम होना जरूरी है।

भारत और बांग्लादेश ने भूमि बंदरगाह मुद्दों पर की चर्चा

भारत और बांग्लादेश ने मंगलवार को 4,096 किलोमीटर लंबी साझा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित विभिन्न भूमि बंदरगाहों और चेक पोस्ट पर बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं परिचालन दक्षता के विकास में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया।दोनों देशों ने नई दिल्ली में बांग्लादेश भूमि बंदरगाह प्राधिकरण (बीएलपीए) और भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण (एलपीएआइ) की छठी उपसमूह बैठक के दौरान यह प्रतिबद्धता जताई।

Show More

Related Articles

Back to top button