अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी के मालिकाना हक वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के कंसालिडेटेड नेट प्रॉफिट में सालाना आधार में 5 प्रतिशत की गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के दौरान यह 15,138 करोड़ रुपये रहा। वहीं, एक साल पहले की समान अवधि में यह 16,011 करोड़ रुपये थी।
हालांकि, ऑपरेशन से रेवेन्यू में सालाना आधार पर 12 फीसदी का तगड़ा उछाल आया है और यह समीक्षाधीन अवधि में 2.36 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। नेट प्रॉफिट के मामले में यह एनालिस्टों के अनुमान पर खरी नहीं उतरी। एनालिस्टों का मानना था कि जून तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का मुनाफा 16,341 करोड़ रुपये रह सकता है। लेकिन, रेवेन्यू के लिहाज से अनुमान सटीक रहे।
अगर कंसालिडेटेड EBITDA की बात करें, तो यह पहली तिमाही में सालाना आधार पर 2 फीसदी बढ़कर 42,748 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं, EBITDA मार्जिन 150 बेसिस पॉइंट्स साल दर साल के हिसाब से 16.6 फीसदी पर आ गया।
रेवेन्यू में कैसे आया तगड़ा उछाल?
रिलायंस इंडस्ट्रीज के रेवेन्यू में तगड़े उछाल की अगुआई O2C सेगमेंट ने की। खासकर, ऑयल और गैस की ऊंची कीमतों और अच्छी बिक्री के चलते कंपनी को काफी फायदा मिला। कंज्यूमर बिजनेस में भी अच्छी ग्रोथ रही, जिससे रिलायंस इंडस्ट्रीज को रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिली। रिलायंस का ओवरऑल प्रदर्शन काफी बेहतर रहा।
इस तिमाही में रिलायंस का मजबूत परिचालन और वित्तीय प्रदर्शन इसके विविध पोर्टफोलियो के कारोबार की ताकत को दर्शाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये कारोबार भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। वस्तुओं और सेवाओं के डिजिटल और भौतिक वितरण के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा और जीवंत चैनल प्रदान कर रहे हैं।
मुकेश अंबानी, एमडी और चेयरमैन रिलायंस इंडस्ट्रीज