28 जनवरी को सरकार बदलते ही भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भिजवाया था, ताकि 14 दिनों की नोटिस अवधि के बाद जब सरकार का बहुमत परीक्षण हो तो सहूलियत हो। लेकिन, सत्ता की कुर्सी से सीधे विपक्ष में आयी लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने अंतिम दांव बचाए रखा। हवा उड़ाई गई कि चौधरी को लालू ने पद छोड़ने कह दिया है, जबकि यह मनगढंत ही था। ‘अमर उजाला’ ने जो लिखा था, वही हुआ। आगे भी हो रहा है।
अध्यक्ष के रूप में अवध बिहारी चौधरी ने सप्तदश बिहार विधानसभा के 11वें सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी किया। इस कार्यक्रम में पारंपरिक रूप से एक सूची है, जिससे सत्तारूढ़ दलों का परेशान होना लाजिमी है। सूची में विधानसभा की नियम, विशेषाधिकार एवं सामान्य प्रयोजन समिति के अध्यक्ष के रूप में भी चौधरी का ही नाम है। मतलब, वह फ्लोर टेस्ट के दौरान नियम बताएंगे भी और इस समिति के अध्यक्ष के रूप में उसे मानने के लिए दबाव भी डालेंगे।
जानिए, 12 फरवरी को विधानसभा की कार्यवाही के बारे में
शपथ या प्रतिज्ञान ग्रहण (यदि हो)।
भारत के संविधान के अनुच्छेद- 176(1) के अधीन सुब 11.30 बजे में बिहार विधान मंडल के विस्तारित भवन के सेन्ट्रल हॉल में बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों के एक साथ समवेत बैठक में महामहिम राज्यपाल का अभिभाषण।
सरकार के द्वारा विश्वास मत प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव।
बिहार विधान मंडल के सत्र में नहीं रहने की अवधि में महामहिम राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों की प्रमाणीकृत प्रतियों का सदन पटल पर रखा जाना (यदि हो)।
आर्थिक सर्वेक्षण का प्रस्तुतीकरण।
शोक प्रकाश (यदि हो)।
जानिए 13 फरवरी को विधानसभा की कार्यवाही के बारे में
- वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आय-व्ययक का उपस्थापन।
- महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर वाद-विवाद एवं सरकार का उत्तर।