मध्यप्रदेश: लाउडस्पीकर मामले को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे हाईकोर्ट के निर्देश

जबलपुर उच्च न्यायालय ने खंडवा जिला कलेक्टर को धर्म स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर याचिका कर्ता के पूर्व में दिये आवेदन पर, 30 दिन में न्यायोचित निर्णय पारित करने का निर्देश दिया है। वहीं याचिका कर्ताओं ने सामाजिक संगठन एपीसीआर के जरिये दिए अपने आवेदन में जिला कलेक्टर सहित कमिश्नर और प्रदेश के प्रमुख सचिव से मांग की थी कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट की तय गाइडलाइन के अनुसार अपने धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की विधिवत अनुमति दी जाए।

इधर सोमवार को आदेश की कॉपी लेकर याचिकाकर्ता जिला कलेक्टर कार्यलय पहुंचे और हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी कलेक्टर कार्यालय में सौपी। बता दें कि इस मामले में दो याचिकाकर्ता हैं, एक शेख जावेद ओर दूसरे लव जोशी। दोनों ने ही सयुंक्त रूप से याचिका लगाई है। खंडवा नगर के दो व्यक्तियों ने जिलेभर में स्थानीय प्रशासन के द्वारा धर्म स्थान से लाउडस्पीकर उतरवाए जाने को लेकर स्थानीय प्रशासन से सुप्रीम कोर्ट की तय गाइडलाइन का पालन करने की मांग के साथ कानूनी क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक संगठन एपीसीआर की मदद से जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने पूर्व में इस तरह जिला कलेक्टर को दिए उनके आवेदन पर 30 दिन के भीतर कलेक्टर को निर्णय पारित करने हेतु निर्देशित किया है, जिसकी कॉपी लेकर शहर काजी के नेतृत्व में दोनों याचिका कर्ता सोमवार को जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। जहां कार्यालय में उन्होंने संबंधित आदेश की कॉपी सौंपी, तो वहीं इसके बाद वे लोग नगर के एसडीएम से मिलने भी पहुंचे और उन्हें भी इसको लेकर अवगत कराया।

शहर का जी ने बताया क्यों जाना पड़ा हाईकोर्ट
वहीं हाई कोर्ट के आदेश के बारे में बताते हुए खंडवा शहर काजी सैयद निसार अली ने बताया कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री के आदेश पर खंडवा सहित पूरे मध्य प्रदेश से सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर को निकाला गया था, हमें आवेदन देने के बाद विधिवत सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार परमिशन देने की बात कही गई थी, लेकिन कई सारे आवेदन देने के बाद जिला प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिला। उस दौरान हमने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां से हमें संतुष्टि पूर्वक जवाब मिला है और वहां से कलेक्टर महोदय को समय दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से डेसीबल सेट करें और हम चाहते हैं सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर का सिस्टम चालू हो। हमने अपनी मांगों को लेकर खंडवा के दो पीटीशनर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और इसमें सामाजिक संगठन एपीसीआर का हमें सहयोग मिला था, जिन्होंने हमें कानूनी सहायता उपलब्ध कराई थी और उसकी वजह से हमें हाई कोर्ट से न्याय मिला।

शासन के निर्देश से धर्मस्थलों से उतरवाए गए लाउडस्पीकर
वहीं एसडीएम बजरंग बहादुर ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार इसके आदेश तो पहले से ही हैं, लेकिन कुछ धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर ध्वनि विस्तारक यंत्र लगा दिए गए थे। उनको उतारे जाने के संबंध में हमने विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रमुखों की मीटिंग भी ली थी और ध्वनि विस्तार के यंत्रों को धार्मिक स्थलों से उतरवाया गया था और कुछ जगह यदि नहीं उतारे गए हैं, तो उनको भी उतरवाया जा रहा है ।

धार्मिक स्थलों में नहीं है डेसीबल निर्धारण की अनुमति

वहीं खंडवा एसडीएम ने कहा कि जब कोई कार्यक्रम करवाया जाता है और उसके संबंध में हमसे अनुमति ली जाती है, तो हम अनुमति देते हैं कि दिन में आप अधिकतम 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल तक की ध्वनि का उपयोग कर सकते हैं। बाकी धार्मिक स्थलों में किसी भी प्रकार का डेसीबल की मात्रा निर्धारित करते हुए अनुमति नहीं है। वहीं इसके संबंध में हाई कोर्ट के खंडवा कलेक्टर को दिए निर्देश को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें इसके संबंध में उच्च न्यायालय में कोई प्रकरण विचाराधीन है, ऐसी जानकारी दी गई है। जिसके बाद इस मामले में माननीय न्यायालय के द्वारा कोई निराकरण होने के बाद ही बात करना संभव हो सकेगा।

Show More

Related Articles

Back to top button