महाराष्ट्र विधानसभा ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया। दरअसल, मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा कोटा विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किया। विधेयक पास करने के दौरान शिंदे ने सदन में कहा कि हमने मौजूदा कोटा को छेड़े बिना मराठों को आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया है।
इस बीच, समाजवादी पार्टी ने आज महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मुसलमानों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग की। सपा विधायक अबू आजमी ने राज्य विधानसभा के बाहर मुस्लिमों को आरक्षण देने की मांग वाले बैनर लहराये। सपा विधायक रईस शेख ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
मुस्लिम समुदाय की आबादी 10 फीसदी से ज्यादा
गौरतलब है कि राज्य में मुस्लिम समुदाय की आबादी 10 फीसदी से ज्यादा है। जस्टिस राजिंदर सच्चर आयोग (2006) और जस्टिस रंगनाथ मिश्रा समिति (2004) ने मुस्लिम समुदाय के आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को आंकड़ों से साबित किया।
अबू आजमी ने कहा ‘जब मराठा समुदाय को पिछली सरकार द्वारा आरक्षण दिया गया था, उसी दिन एक अधिसूचना निकाली गई और मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि मराठा समुदाय को न्याय मिल रहा है जिसका हम स्वागत करते हैं लेकिन साथ ही मुस्लिम समुदाय को नजरअंदाज किया जा रहा है। हम सरकार से अपील करते हैं कि अधिसूचना को देखें, जब आप न्याय कर रहे हैं तो सबके साथ न्याय करें।’
डिप्टी सीएम से आजमी की अपील
आजमी ने डिप्टी सीएम अजित पवार से अपना वादा पूरा करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘मैं डिप्टी सीएम अजीत पवार से अपील करता हूं, जिन्होंने वादा किया है कि अल्पसंख्यकों के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा, वे इस पर ध्यान दें और इस राज्य के अल्पसंख्यकों को न्याय दें।’ कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने पहले एक अध्यादेश के जरिए मुसलमानों को आरक्षण दिया था।
उल्लेखनीय है कि मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल के बीच इस उद्देश्य के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया है। इस बीच, पाटिल ने विधेयक को विश्वासघात बताया।