मुंबई के धारावी झुग्गी बस्ती में जीवन की कई चुनौतियों को पार करते हुए एक लड़का सेना में अधिकारी बन गया है। झुग्गी बस्ती में रहने वाले उमेश कीलू तमाम सुविधाओं के अभाव के बावजूद भारतीय सेना में एक कमीशन अधिकारी बने हैं। चेन्नई में आफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी में शनिवार को पासिंग आउट परेड आयोजित की गई, जिसके बाद अब वो लेफ्टनिंग बन गए हैं।
उमेश कीलू का जन्म और पालन-पोषण मुंबई के धारावी के सायन कोलीवाड़ा झुग्गी में हुआ था। वह अपने परिवार के साथ 10 फीट बाई 5 फीट के मकान में रहते थे। तमाम आर्थिक मुसीबतों के बाद भी उन्होंने आइटी में बीएससी और कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन की। एनसीसी एयर विंग से जुड़े रहने के चलते उनको सी प्रमाणपत्र हासिल हुआ।
परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्होंने एक साइबर कैफे में पार्ट टाइम नौकरी भी की और कंप्यूटर आपरेटर के रूप में काम किया। आइटी सेवा क्षेत्र में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और ब्रिटिश काउंसिल के साथ भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। उमेश कीलू ने पिछले कुछ सालों में सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) को पास करने के लिए कुल 12 प्रयास किए जिसके बाद अब वो प्रतिष्ठित अकेडमी में शामिल हुए।
इस दौरान उनके पिता का बीमारी के चलते निधन हो गया। वह 2013 में ही लकवाग्रस्त हो गए थे। इसके बाद उनकी पारिवारिक आर्थकि हालात खराब हो गयी, क्योंकि घर में वो ही अकेले कमाने वाले थे। पिता के निधन की खबर सुनने के बाद वह अंतिम संस्कार के लिए मुंबई धारावी गए और बाद में अकेडमी वापस लौट आए। उन्होंने अकेडमी में वापस कर खूब लगन और मेहनत की जिसके बाद अब कमीशन अधिकारी बनकर माता-पिता का सपना साकार किया।
वायुसेना पायलट की विधवा बनीं सेना अधिकारी
देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ हेलीकाप्टर दुर्घटना में बलिदान हुए भारतीय वायुसेना के एक पायलट की विधवा यश्विनी ढाका ने चेन्नई में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में प्रशिक्षण पूरा किया। यश्विनी के पति पायलट स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, विमान में उनके साथ सीडीएस जनरल बिपिन रावत थे।
उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंग्टन, उधगमंडलम के लिए कोयंबटूर के पास वायु सेना स्टेशन, सुलूर से उड़ान भरी थी। लेकिन नीलगिरी की पहाड़ी में हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे उसमें सवार यात्रियों की मौत हो गई। इस त्रासदी ने यश्विनी का जीवन बदल दिया और उन्होंने भी सेना ज्वाइन करने का फैसला किया। उन्होंने ओटीए में 184 अधिकारी कैडेटों के साथ अपना सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और सेना अधिकारी बन गईं।
किसान परिवार की सरन्या बनी सेना अधिकारी
तमिलनाडु के इरोड जिले के किसान परिवार की सरन्या एम भी सेना अधिकारी बन गईं। वह एक सिविल इंजीनियर हैं और अपने परिवार की पहली स्नातक हैं। उन्होंने एक आइटी फर्म में नौकरी ठुकराकर ओटीए के जरिए कमीशन अधिकारी बनने का विकल्प चुना।
अकादमी में सबसे कम उम्र के कैडेट शौर्यन थापा
ओटीए प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने वालों अकादमी में सबसे कम उम्र (21 वर्ष) के कैडेट शौर्यन थापा भी शामिल हैं। शनिवार को पासिंग आउट परेड में उन्हें ओटीए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। शौर्यन अपने पिता कर्नल मोहित थापा के साथ 7/8 गोरखा राइफल्स की सेवा में शामिल होंगे।