
सीबीएसई की ओर से वर्ष 2026 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ क्षेत्रीय कार्यालयों और चुनिंदा विषयों का मूल्यांकन डिजिटल रूप में किया जायेगा। बोर्ड की ओर से यह फैसला हाल ही में हुई गवर्निंग बॉडी की बैठक में लिया गया है। इससे छात्रों की कॉपियों की सटीक जांच के साथ रिजल्ट भी जल्द जारी हो सकेगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) इस सत्र से एक नया नियम लागू करने जा रहा है। वर्ष 2026 बोर्ड एग्जाम 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों का डिजिटल मूल्यांकन किया जायेगा। हालांकि, बोर्ड की ओर से अभी केवल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ क्षेत्रीय कार्यालयों और चुनिंदा विषयों में ही डिजिटल मूल्यांकन किया जायेगा। यदि पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो इसे आगे सभी केंद्रों पर लागू करने का निर्णय लिया जायेगा।
बोर्ड की ओर इस प्रोजेक्ट को इसलिए शुरू किया जा रहा है ताकी परीक्षा होने के बाद तेजी से कॉपियों का मूल्यांकन हो सके और रिजल्ट भी जल्द जारी किया जा सके। सीबीएसई बोर्ड की ओर से यह अहम फैसला हाल ही में हुई गवर्निंग बॉडी की बैठक में लिया गया है।
पहले 2014 में हो चुका प्रयोग
आपको बता दें कि सीबीएसई की ओर से इससे पहले वर्ष 2014 में 10वीं और 2015 में 12वीं की परीक्षाओं के कुछ विषयों में कॉपियों की जांच डिजिटल रूप से कराई गई थी। लेकिन तब इस प्रयोग को बहुत सीमित स्तर पर किया गया था। अब इसे बड़े पैमाने पर लागू करने का निर्देश दिया गया है।
कैसे होगा मूल्यांकन
बोर्ड की कॉपियों का डिजिटल मूल्यांकन की जिम्मेदारी सरकार की ओर से एजेंसियों को दी जाएगी। बोर्ड के अनुसार ने डिजिटल मूल्यांकन की जिम्मेदारी केवल उन्हीं एजेंसियों को दी जाएगी, जिन्हें पहले से बोर्ड या किसी सरकारी संस्था की परीक्षाओं के मूल्यांकन का अनुभव हो जिससे कि जांच की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित, विश्वसनीय और त्रुटिरहित हो।
बोर्ड एग्जाम में बैठने के लिए 75 फीसदी अटेंडेंस जरूरी
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की ओर से कुछ दिन नोटिफिकेशन जारी कर सूचना दी गई थी कि क्लास 10th, 12th बोर्ड एग्जाम में भाग लेने के लिए स्टूडेंट्स की स्कूल में न्यूनतम 75 फीसदी अटेंडेंस होना अनिवार्य है। 75 फीसदी उपस्थिति के बिना छात्रों को बोर्ड एग्जाम देने से रोक दिया जायेगा। ऐसे में छात्र डेली स्कूल में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें ताकी एग्जाम के समय किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। हालांकि मेडिकल इमरजेंसी, नेशनल या इंटरनेशनल खेल आयोजनों में भागीदारी और अन्य गंभीर कारणों जैसे आपातकालीन मामलों में छात्रों को छूट दी जा सकती है।