‘अगर आपने सोना नहीं खरीद रखा, तो सही मायने में न आप इतिहास से वाकिफ हैं और न ही अर्थशास्त्र से।’ यह कहना है अमेरिकी अरबपति निवेशक और फंड रेमंड थॉमस डेलियो (Raymond Thomas Dalio) का। इससे जाहिर होता है कि परंपरागत तौर पर सोने की इतनी ज्यादा अहमियत क्यों है। आइए समझते हैं कि सोने में निवेश करना क्यों जरूरी है और इसके क्या फायदे हैं।
सोना सदियों से बहुमूल्य
सोने ने सदियों से निवेश के तौर पर अपना मूल्य बरकरार रखा है। जबसे सोने की खोज हुई और इंसानों ने व्यापार सीखा, तभी से सोना इंसानी सभ्यता का सबसे अभिन्न हिस्सा बना हुआ है। इसके लिए अनगिनत लड़ाइयां हुईं, साम्राज्य बने और बिखरे, लेकिन इसकी अहमियत कम नहीं हुई। यह हमेशा प्रतिष्ठा का प्रतीक बना रहा। राजा-महाराजाओं के लिए खजाना भरने का, तो आमजन के लिए जेवरात पहनने का। यही वजह है कि सदियों से पहले भी सोना बहुमूल्य था, आज भी है। भारत जैसे देश में सोने का खास सांस्कृतिक महत्व भी है।
पोर्टफोलियो में विविधता
सोना आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में विविधता लाता है। यह अस्थिरता और अनिश्चितता के दौर में आपके पोर्टफोलियो के लिए रिस्क मैनेजमेंट का करता है। किसी भी युद्ध या तनाव की स्थिति में शेयर मार्केट में गिरावट आने लगती है और आर्थिक अनिश्चितता बढ़ जाती है। ऐसे समय में सोने की अहमियत पता चलती है, क्योंकि इसकी कीमतों में उछाल आता है। इससे शेयर मार्केट के निवेश होने वाले नुकसान की कुछ तक भरपाई इससे हो जाती है।
सोने के बदले कर्ज लेना आसान
कई बार वित्तीय मुश्किल के दौरान कर्ज लेने में मुश्किल आती है। लेकिन, अगर आपके पास गोल्ड है, तो आप आसानी से कर्ज ले सकते हैं। इसे बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFC) सबसे सुरक्षित लोन भी मानती हैं, क्योंकि इसमें एनपीए बनने की गुंजाइश काफी कम रहती है। वे गोल्ड बेचकर आसानी से वसूली कर सकती हैं और इसमें उन्हें कोई नुकसान भी नहीं होगा। वहीं, उपभोक्ता को भी गोल्ड के बदले कर्ज आसानी से अपेक्षाकृत कम ब्याज दर मिल जाता है।
मुद्रास्फीति के खिलाफ प्रदर्शन
सोना मुद्रास्फीति यानी महंगाई दर के खिलाफ हमेशा सबसे कारगर हथियार रहा है। यही वजह है कि आरबीआई समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीद बढ़ाई है। बेशक शेयर मार्केट या दूसरे किस्म के निवेश कई बार सोने से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। लेकिन, उनमें बड़ा ठहराव आ सकता है, जो लंबे समय तक बना रह सकता है। वहीं, सोने के साथ ऐसा नहीं है। इसका भाव हमेशा समय के साथ बढ़ता रहता है।
यूनिवर्सल करेंसी की मान्यता
सोने को यूनिवर्सल करेंसी के तौर पर भी मान्यता हासिल है। रूस ने यूक्रेन पर जब हमला किया, तो अमेरिका की अगुआई में पश्चिमी देशों ने उसके विदेशी मुद्रा भंडार को जब्त कर लिया। रूस के पास जो यूरो और डॉलर थे, उनकी वैल्यू जीरो हो गई। लेकिन, अगर रूस विदेशी मुद्रा की जगह सोने का भंडार बनाता, तो उसकी वैल्यू कभी जीरो नहीं होती। भला ही सोने का भाव एकसाथ 30 फीसदी तक कम हो जाता है।